Thursday, September 25, 2014

जिस की खुश्बु से महेक उठे मधुवन वो गुलाब हो तुम ,
जिंदगी में  जो कभी पुरा न हो शका वो ख्वाब हो तुम। 
जिसे में ताउमर पढना चाहु ऐसी महोब्बत की किताब हो तुम ,
मेरी जिंदगी का पुरा हिसाब हो तुम ।
माना की मेरे तमाम ददॅ का असबाब हो तुम ,
फिरभी मेरी जिंदगी का नायाब आफताब हो तुम।
            
                  ~~~ सुरेश त्रिवेदी
    असबाब= वजह / कारन 
    आफताब= सुरज
चलो वापस चलते हे उस मोड पर ,
जहा से कभी हमारे रास्ते अलग हो गये थे
चलो वापस चलते हे उस मोड पर ,
जहा से कभी हमने सुनहरे ख्वाब सजाये  थे ।
चलो वापस चलते हे उस मोड पर ,
जहा से कभी तुम हमसे पराये हो गये थे । 
चलो वापस चलते हे उस मोड पर ,
जहा से कभी हम दोनो जिंदा लाश हो गये थे ।

                @---सुरेश त्रिवेदी

युं तो सारा कारवां साथ है,
मगर काफिले में ऐक हमसफर की कमी रेह गई।
युं तो पुरा गुलशन मेरे पास है,
मगर गुलदस्ते में ऐक गुलाब की कमी रेह गई।
युं तो बहोत हसीन नजारे देखे है ,
मगर आंखो में बस ऐक तेरी ही छबी रेह गई।
युं तो जिंदगी में सब हांसिल कर लिया है,
मगर बस ऐक तेरे बगेर जिंदगी अधुरी रेह गई।
------------- सुरेश त्रिवेदी