जिस की खुश्बु से महेक उठे मधुवन वो गुलाब हो तुम ,
जिंदगी में जो कभी पुरा न हो शका वो ख्वाब हो तुम।
जिसे में ताउमर पढना चाहु ऐसी महोब्बत की किताब हो तुम ,
मेरी जिंदगी का पुरा हिसाब हो तुम ।
माना की मेरे तमाम ददॅ का असबाब हो तुम ,
फिरभी मेरी जिंदगी का नायाब आफताब हो तुम।
~~~ सुरेश त्रिवेदी
असबाब= वजह / कारन
आफताब= सुरज